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दिल्ली(अश्विनी भाटिया)/आज से 14 सौ वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया इस्लाम अब तक कई सभ्यताओं और राष्ट्रों को निगल चुका है। दूसरी सभ्यताओं और धार्मिक मान्यताओं को नेस्तनाबूद करने की प्रक्रिया अभी भी जारी है।अफगानिस्तान राष्ट्र का ताजा उदाहरणआज हमारे सामने है जो अब पूरी तरह से गैर मुस्लिम यानि हिन्दू -सिख विहीन हो गया है। वहां सैंकड़ों की गिनती में बचे हिन्दू -सिखों को भी तालीबानी आतंक से बचाकर भारत सरकार वहां से सुरक्षित निकाल कर लेआई है। अपने जन्म से ही इस्लाम को मानने वाले शांतिप्रिय जेहादियों ने दूसरे धर्म के अनुययियों का नामोंनिशान तलवार के बल पर मिटाने का काम शुरू कर रखा है। पूरे विश्व को इस्लामिक प्रचम के नीचे लाना और पूरी मानव जाति को अल्लाह के प्रति आस्थावान बनाकर ईमान वाला यानि मुसलमान बनाना ही मुस्लिमों के लिए जेहाद है। इतिहास गवाह है कि जेहादी एजेंडे के साथ इन मोमिनों (अल्लाह में आस्था रखनेवाले) ने विश्व के कई देशों से आतंक फैलाकर अधिकांश गैरमुस्लिमों को भयाक्रांत करके पलायन को मजबूर कर दियाऔर जो शेष बच गए या तो उनको कत्ल कर दिया गया या फिर उनको मुस्लिम बना दिया गया। कुरान में दी गई शिक्षा का शत- प्रतिशत अनुकरण करते हुए मुसलमानों ने ईरान से पारसियों को मिटा दिया। ईराक से खुर्दों का सफाया कर दिया। नाइजीरिया, सूडान और लेबनान से ईसाइयों को साफ करके इस्लाम का परचम लहरा दिया। इस्लामिक जेहादियों ने 1947 में भारत भूमि से लगभग एक तिहाई भाग को काटकर पश्चिमी और पूर्वी पाकिस्तान नाम का इस्लामिक देश बना लिया और उस पवित्र भूमि पर इंसानों के रक्त की नदियां बहकर इस्लाम की सेवा की। परिणाम स्वरूप इस भूमि पर सदियों से रहने वाले लाखों हिन्दुओं- सिखों को कत्ल करके करोड़ों को वह भूमि खाली करने को विवश कर दिया। भारत विभाजन के और पाकिस्तान के जन्म के दौरान इन इस्लामिक जेहादियों ने लगभग 15 लाख बेकसूर हिन्दू- सिखों का कत्ल किया, असंख्य लड़कियों के साथ बलात्कार करके उनकी हत्या कर दी। हिंदुओं की करोड़ों -अरबों की धन -संपत्ति लुटकर, उनको अपनी मातृभूमि छोड़कर पलायन के लिए मजबूर कर दिया। जो पाकिस्तान में बचे रह गए उनका इस्लाम में मतांतरण करवा दिया गया ।पाकिस्तान और बंगलादेश में बचे- खुचे हिन्दुओं के धर्मपरिवर्तन करवाने, मंदिरों को तोड़ने, उनकी लड़कियों का अपहरण करके जबरन मुसलमानों से निकाह करवाने या उनकी हत्याओं को करने का इस्लामिक जेहाद रूपी पाशविक कृत्य आज भी निरंतर जारी है। अगर इस्लाम का यह मानवता विरोधी क्रूरतम करे यूं ही चलता रहा तो ,वह दिन दूर नहीं जब पाकिस्तान और बंगलादेश को भी पूर्णतया हिन्दू -सिख विहीन कर दिया जायेगा। अब अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होते ही वहां संकड़ों की संख्या में बचे रह गए हिन्दू- सिखों को भी पलायन के लिए विवश करके पूरे देश को काफिरों से मुक्त कर लिया गया है। आज अफगानिस्तान भी पूर्ण रूप से हिन्दू -सिखों से विहीन होकर सिर्फ ईमान वाले मोमिनों की जन्नतगाह विशुद्ध इस्लामिक राष्ट्र बन चुका है। मुस्लिम सिर्फ और सिर्फ इस्लाम को मानने वालों को ही इस विश्व में जीने और रहने का अधिकारी मानता है, क्योंकि ऐसा करने का आदेश उनको उनके पैगम्बर के अनुसार आसमान से उतरी पवित्र पुस्तक कुरान में अल्लाह द्वारा दिया गया है। इस पुस्तक का आदेश यह भी है कि पूरी दुनिया में रहने वाले इंसानों को सिर्फ और सिर्फ अल्लाह को ही पूजना होगा और जो ऐसा नहीं करेगा तो ऐसे काफिरों का कत्ल वाजिब होगा। अधिक से अधिक काफिरों को मुस्लिम बनाने और मुसलमान न बनने वाले काफिरों की हत्या करने वाला मुस्लिम गाजी बन सकता है। ऐसा करने वाला मुसलमान ही अल्लाह का सच्चा और नेक अनुयायी है और उस पर ही अल्लाह विशेष तौर से मेहरबान होता है। इसी कट्टर जेहादी सोच को अल्लाह का फरमान मानकर बहुत से इस्लामिक संगठन पूरी दुनिया को इस्लाम में मतांतरित करने की काम में जुटे हुए हैं।गैर कई राष्ट्रों के गैरमुस्लिम से विहीन होने की प्रक्रिया को देखते हुए भी अगर कोई यह कहे कि इस्लाम प्रेम और शांति का पैगाम देता है तो इससे बड़ा महाझुठ दुनिया का कोई दूसरा नहीं हो सकता। इस बात का निर्णय तो अब गैर मुस्लिम जगत को करना है कि वो कैसे इस जेहादी सोच का मुकाबला करके अपने अस्तित्व को बचाने की दिशा में बढ़ेंगे,क्योंकि मुस्लिम जगत का लक्ष्य और सोच तो स्पष्ट है कि पूरी दुनिया को इस्लाम के झंडे के नीचे लाकर मुसलमान बनाओ।आज भी दुनिया इस बात से अनजान बनी हुई है तो इसमें इस्लाम के मानने वालों का कोई कसूर नहीं है। इस सत्यता से आंखे फेरने से भविष्य में आनेवाले संकट को टाला नहीं जा सकता। गैरमुस्लिमों में भी विशेष रूप से हिन्दू और सिख आज भी इस्लाम की असलियत जानकर भी अनजान बने हुए हैं।
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