08/06/2020
आज भी हिन्दू व मन्दिर असुरक्षित क्यों ?और मुस्लमान आक्रामक और बेखौंफ क्यों ?

दिल्ली/(अश्विनी भाटिया) सदियों पहले मौहम्मद बिन कासिम की भारत में घुसपैठ के साथ हिन्दूओं और उनके देव स्थानों पर जो हमले शुरू हुये वो आज तक जारी हैं ।हिन्दू सदियों से इस्लामिक बर्बरता का शिकार होता आया है और आज भी यह आतंकी सिलसिला निरंतर जारी है ।हिन्दू इस्लाम के असली घिनौने चेहरे को कल भी नहीं पहचान पाया था और आज भी नहीं पहचान पा रहा ।दौरान हिन्दुओं ने अपनी मूर्खता और सहनशीलता के कारण अपना, अपने धर्म और अपने राष्ट्र का बहुत नुकसान किया, लेकिन उसने इन सब बातों से कोई सबक नहीं सीखा ।

हिन्दुओं का यह भी दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि इसके धार्मिक ध्वजावाहकों ने इसके घर्मावलंबियों को शांति का पाठ पढ़ाने के सिवा लडना और आक्रमकता सिखाना उचित नहीं समझा ।धर्म के झंडाबरदारों की इसी शिक्षा ने हिन्दू धर्म को कमजोर और संघर्ष न करने वालों की भीड़ में बदल डाला जबकि समय -समय पर अवतरित होने वाले अवतारों ने धर्म की रक्षार्थ अधर्मियों का संहार किया ।शांति से जीने की ललक में हिन्दूओं ने 1947 में अपने महान राष्ट्र का विभाजन तक स्वीकार कर लिया ।हिन्दूओं ने यह सोचकर कि चलो अगर भारत का एक तिहाई भाग मुस्लमानों को देने से भी उन्हें (हिन्दू) सैंकड़ों बरसों से भारत में व्याप्त  इस्लामिक आतंक से छुटकारा मिलता हो तो ,दे दिया जाये, लेकिन किसी भी कीमत पर शांति कायम होनी चाहिए ।परन्तु यहां भी हिन्दू मुगालते में ही रहा और वह मूर्ख ही साबित हुआ। एक तिहाई भारत के भू भाग से अपना अधिकार छोड़ने और लाखों इंसानों के कत्ल और करोड़ों लोगों को अपने घरों से बेघर करने के बाद भी हिन्दुओं को न तो शांति की प्राप्ति ही हो पायी और न ही इस्लामिक आतंक से मुक्ति ही मिल पायी ।इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान बनने के बाद भी भारत न तो मुस्लिमविहीन हो पाया और न ही हिन्दू इस्लामिक बर्बरता से बच पाया ।हिन्दुओं की इसी अदूरदर्शी सोच का परिणाम आज सामने है, हिन्दू बहुत कुछ खोने के बावजूद शांति की तलाश में है और मुस्लिम बहुत कुछ पाने के बाद भी काफिरों को मिटाकर इस्लाम का वर्चस्व कायम करने की फिराक में लगा हुआ है ।मेरे आंकलन और अब तक के विश्लेषण के हिसाब से हिन्दू अाज भी अपने सिर पर मंडराते खतरे से अंजान शांति की चाह में अपने अंघकारमय भविष्य की ओर अग्रसर है और मुस्लिम बड़ी चतुराई से अपने जेहादी ऐजेंडे के साथ हिंसक प्रवृति में ही अपने बेहतर भविष्य की तस्वीर देख रहा है । दोनों में यह बुनियादी अंतर उनको मिलने वाली धार्मिक शिक्षा के कारण है ।इसी कारण हिन्दू कायर और डरपोक बना आज भी वह खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है और इसके विपरीत मुस्लिम आक्रामक और बेखौंफ होकर हिन्दुओं व उनके मन्दिरों पर हमले करके इस्लाम की सेवा कर रहा है ।(वॉयस अॉफ भारत)


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